लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर
मधु सुरभिमुख कमल
सुन्दर
मधु सुरभिमुख कमल
सुन्दर
लोघ्र के से
ताम्र
लोचन,
कुरुव्रकों से ग्रथित
अलकें
पीनगुरुतर दीप्तिमयस्तन
सुमंसल मनहर नितम्ब
किसे न कर
देते
सुचंचल
काम के यह
अग्रदूत
सुरभि भरे निश्वास
आकुल
ओ विसुध सीमन्तनी!
मधु वंदनाकर प्राण
विह्वल